बलराम जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है. वहीं, अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है.इस बार बलराम जन्मोत्सव 9 अगस्त को मनाया जाएगा. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव से दो दिन पहले बलराम जन्मोत्सव मनाया जाता है. बलराम जन्मोत्सव को हल छठ भी कहा जाता है. यहां हल का मतलब बलराम और छठ का मतलब षष्ठी तिथि होता है, क्योंकि बलराम जी भगवान श्री कृष्ण से बड़े हैं. इसलिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले बलराम जन्मोत्सव मनाया जाता है.
हिन्दू धर्म के अनुसार इस व्रत को करने वाले सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और राम भगवान विष्णु जी का स्वरूप है, और बलराम और लक्ष्मण शेषनाग का स्वरूप है. एक बार भगवान विष्णु से शेष नाग नाराज हो गए और कहा की भगवान में आपके चरणों में रहता हूं, मुझे थोड़ा सा भी विश्राम नहीं मिलता. आप कुछ ऐसा करो के मुझे भी विश्राम मिले. तब भगवान विष्णु ने शेषनाग को वरदान दिया की आप द्वापर में मेरे बड़े भाई के रूप में जन्म लोगे, तब मैं आपसे छोटा रहूंगा.
शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। बलराम का जन्म यदूकुल के चंद्रवंश में हुआ था। कंस ने अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वासुदेव से विधिपुर्वक कराया था। जब कंस अपनी बहन को रथ में बैठा कर वासुदेव के घर ले जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान ही उसे खत्म करेगी। जिसके बाद कंस ने अपनी बहन को कारागार में बंद कर दिया था और उसके 6 पुत्रों को मार दिया, 7वें पुत्र के रूप में नाग के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। बलराम जी को शेषनाग का अवतार भी कहते हैं।
शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। बलराम का जन्म यदूकुल के चंद्रवंश में हुआ था। कंस ने अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वासुदेव से विधिपुर्वक कराया था। जब कंस अपनी बहन को रथ में बैठा कर वासुदेव के घर ले जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान ही उसे खत्म करेगी। जिसके बाद कंस ने अपनी बहन को कारागार में बंद कर दिया था और उसके 6 पुत्रों को मार दिया, 7वें पुत्र के रूप में नाग के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। बलराम जी को शेषनाग का अवतार भी कहते हैं।