प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. बाल मज़दूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को इस काम से निकालकर उन्हें शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से इस दिवस की शुरुआत साल 2002 में द इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की ओर से की गई थी.
भारत में भी सरकारी प्रतिष्ठानों एवं विभिन्न एजेंसियों द्वारा बाल श्रम के विरुद्ध दिवस एवं जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. मध्य प्रदेश में बाल मजदूरी (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के प्रावधानों की जानकारी दुकानदारों एवं आम लोगों को दी जाएगी. इस अभियान में अधिकारी एवं टॉस्क फोर्स के सदस्य मौजूद रहेंगे.
भारत में बालश्रम से संबधित रिपोर्ट
• बाल श्रम के खिलाफ कार्यरत संगठन बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में लगभग सात से आठ करोड़ बच्चे अनिवार्य शिक्षा से वंचित हैं.
• इस आंकड़े में अधिकतर बच्चे् संगठित अपराध रैकेट (organised crime rackets) का शिकार होकर बाल मजदूरी के लिए मजबूर किए जाते हैं जबकि बाकी बच्चे गरीबी के कारण स्कू ल नहीं जा पाते हैं.
• वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 5 से 14 साल के 25.96 करोड़ बच्चों में से 1.01 करोड़ बाल श्रम के शिकार हैं.
• अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में लगभग 15.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम के लिए मजबूर हैं. इनमें से अधिकांश बच्चेब बदतर हालात में काम कर रहे हैं.
भारत के संविधान में बालश्रम के विरुद्ध प्रावधान
• बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986 - यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशों और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है. इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है.
• फैक्टरी कानून 1948 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है. भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.