श्री लक्ष्मी चालीसा

श्री लक्ष्मी चालीसा (Laxmi) देवी लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती है। लक्ष्मी जी की पूजा में कई मंत्रों का प्रयोग होता है। माता की आराधना में चालीसा का भी विशेष महत्व है।

॥ दोहा॥

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥

॥ सोरठा॥

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥

तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥

तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥

ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥

पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥

बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥

रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥

॥ दोहा॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥

Read More

संतोषी माता आरती

हिन्दूओं की एक अहम देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि संतोषी माता की उपासना से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। संतोषी माता को प्रसन्न करने के ल ...

काली माता की आरती

हिंदू मान्यतानुसार काली जी का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था। आदि शक्ति भगवती का रूप माने जाने वाली काली माता को बल और शक्ति की देवी माना जाता ह ...

शनि देवजी की आरती

भगवान शनिदेव को दंडाधिकारी माना जाता है। मनुष्य को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल देने वाले शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र माने जाते हैं। शनिदेव को प्र ...

श्री साईं बाबा की आरती

भारतीय समाज में देवी-देवताओं के साथ संत-फकीरों को भी पूज्यनीय माना जाता है। इस कड़ी में श्री साईं बाबा प्रमुख रूप में भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं। भक्त ...

हनुमानजी की आरती

हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान जी का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते ह ...

बृहस्पति देव की आरती

हिन्दू धर्म में बृहस्पति देव को सभी देवी-देवताओं का गुरु माना जाता है। बृहस्पति देव की पूजा साधना करने से मनुष्य का जीवन सुखी होता है। भारत में वीरवार ...

चामुण्डा देवी की चालीसा

हिन्दू मान्यतानुसार देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में से चामुण्डा देवी प्रमुख हैं। दुर्गा सप्तशती में चामुण्डा देवी की कथा का वर्णन किया है। माना जा ...

पार्वती जी की चालीसा

हिन्दू धर्म में पार्वती जी को आदिशक्ति कहा जाता है। मान्यता के अनुसार काली, दुर्गा, अन्नपूर्णा, गौरा सब देवी पार्वती का ही रूप हैं। पार्वती जी की उपास ...

श्री सरस्वती चालीसा

हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। सरस्वती जी को वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती जी को श्वेत वर्ण अत्यधिक प्रिय होता ...

श्री कृष्ण चालीसा

हिंदू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। श्री कृष्ण को पूर्णावतार भी कहा जाता है क्योंकि उनके मृत्यु लोक के सभी चरणों ...

Recent Posts






















Like us on Facebook